Sunday, June 14, 2009

ये क्या हुआ?

मुझे समझ में तो आया परन्तु थोडी देर से | शायद गलती मेरी ही थी - मुझे काफी पहले ही समझ जाना चाहिए था | लेकिन चलो, कोई बात नहीं, अभी भी कुछ नहीं बिगडा है - देर आये, दुरुस्त आये | सब कुछ ऐसे ही चलता आया है और ऐसे ही चलता रहेगा | कोई इलाज नहीं |

जाने क्यों मै अपना वजन घटाता रहता हूँ कुछ-कुछ सोचकर | खामख्वाह अपना दिमाग खराब क्यों करूँ | कुछ नहीं मिलने वाला और न ही कुछ बदलने वाला | पूरे बीस साल लग गए इस निश्कर्ष पर पहुँचते-पहुँचते|

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लो भाई, अब मैंने भी ब्लॉग शुरू कर दिया है | देखता हूँ मै भी अपने विचार प्रकट कर के |